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Tuesday 5 April 2022

April 05, 2022

भौतिक जगत ( Physics world full notes in hindi ) / class 11 th physics chapter 1 full notes.

भौतिकी को जानने से पहले हमे यह जान लेना जरूरी है कि विज्ञान क्या है ? विज्ञान शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई और भी हम विज्ञान के बारे मे बहुत कुछ जानेगे। । उसके बाद हम जानेगे कि भौतिकी क्या है ? भौतिकी शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई , भौतिकी के आधुनिक पिता किसे कहा जाता है ,भौतिक का क्षेत्र एवं महत्व , भौतिकी की विभिन्न शाखाएँ , भौतिकी की तकनीक , भौतिकी का विज्ञान की अन्य शाखाओ से सम्बन्ध जैसे :- गणित और भौतिकी में संबंध , खगोल विज्ञान और भौतिकी में संबंध , रसायन विज्ञान और भौतिकी मे संबंध , जीव विज्ञान और भौतिकी में संबंध , भौतिक और प्रौद्योगिक , भौतिकी और समाज , विश्व के कुछ प्रमुख भौतिकशास्त्री एवं उनके प्रमुख अविष्कार , प्रकृति के भौतिक बल |


तो चलिए आज कुछ नया चीज सीखते है। Lest start


Sunday 20 March 2022

March 20, 2022

What is Physics in hindi l फिजिक्स क्या है इन हिंदी । भौतिक विज्ञान किसे कहते है । What is physics | Physics in Hindi @Basic-Physics

 

What is Physics in hindi l फिजिक्स क्या है इन हिंदी । भौतिक विज्ञान किसे कहते है । What is physics | Physics in Hindi


Physics in hindi :- दैनिक जीवन में होने वाली अनेक प्राकृतिक घटनाएँ जैसे वर्ष के मौसम , बादलों का बनना , वर्षा का होना चंद्र तथा सूर्यग्रहण आदि के व्याख्याएँ भौतिक विज्ञान के अंतर्गत आते हैं इस प्रकार विज्ञान की वह शाखा जिसमें प्रकृति द्वारा प्राकृतिक गुणों तथा व्यवहारों के बारे में अध्ययन किया जाता भौतिक विज्ञान के अंतर्गत आते हैं ।

             
                                 भौतिक शब्द की उत्पत्ति
प्राचीन काल से भौतिक शब्द का प्रयोग वेदों में किया जाता रहा है जिसका अभिप्राय है प्राकृतिक ( Natural )  इसी से भौतिक शब्द की उत्पत्ति हुई है। फिजिक्स ( Physics ) शब्द की उत्पत्ति यूनानी शब्द फिउसिस ( Fussis / pheusis ) से बना है । जिसका अभिप्राय है प्रकृति |


                          भौतिकी परिभाषा 

विज्ञान की वह शाखा जिसमें प्रकृति में उपस्थित वस्तुओं के भौतिक गुणों और विभिन्न प्राकृतिक ऊर्जाओ का सुव्यवस्थित अध्ययन किया जाता है ।उसे भौतिक विज्ञान कहते हैं ।                    

                                        या 

विज्ञान की वह शाखा जिसमें द्रव्य तथा ऊर्जा और उनकी पारस्परिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है , भौतिकी कहते है।

                                        या 

विज्ञान की वह शाखा जिसमें प्रकृति तथा प्राकृतिक घटनाओं की व्याख्या की जाती है , भौतिकी विज्ञान कहते हैं ।


                                        मापन का विज्ञान
भौतिकी में अधिकतम संभव शुद्धता के साथ मात्राओं को नापने का प्रयास किए जाते हैं इसलिए भौतिकी को मापन का विज्ञान भी कहते हैं । 


 

     भौतिकी का आधुनिक पिता किसे कहा जाता है।

दोस्तों आधुनिक भौतिकी का पिता गैलीलियो गैलीली एवं अल्बर्ट आइंस्टीन को कहा जाता है।

   

                   भौतिक विज्ञान की शाखाएँ
दोस्तों हमारे आस - पास समतल साधन भौतिकी पर कार्यरत है । जैसे :- मोटरगाड़ी , कार , बस, रेलगाड़ी , हवाई जहाज आदि में प्रयोग होने वाले दहन ईजन भौतिक विज्ञान की शाखा उष्मागतिकी पर कार्य करते है। इसी प्रकार बहुत से उदाहरण हैं जो भौतिकी के अंतर्गत आते हैं ।


मुख्य रूप से भौतिक विज्ञान की दो शाखाएं है। परंतु भौतिक विज्ञान के कुछ उपशाखाओं में भी बाँटा गया है । जो निम्न प्रकार है ।


भौतिक विज्ञान की शाखाएँ 
i ) चिरसम्मत् भौतिकी ( Classical Physics )
2 ) आधुनिक भौतिकी ( Modern Physics )


                         चिरसम्मत् भौतिकी
दो 1900 से पूर्व के भौतिकी सम्बन्धी आविष्कारो और सिद्धांतो को लिया गया है।
            चिरसम्मत् भौतिकी की उपशाखाएँ निम्न प्रकार है ।


उष्मागतिकी
० यांत्रिकी
० प्रकाशिकी
० विधुत चुम्बकत्व
० स्थिर वैधुतिकी
० ध्वनि विज्ञान / भौतिकी

० उष्मागतिकी :- भौतिक विज्ञान की वह शाखा जिसमें किसी पदार्थ के अणुओ को दिए गए ताप से उनके गुण तथा व्यवहार के बारे में पता चलता है / अभिव्यक्त किया जाए वह उष्मागतिकी के अंतर्गत आते है ।


० यांत्रिकी :- भौतिक विज्ञान की वह शाखा जिसमें वस्तु अर्थात पिंडों की गति के बारे में अध्ययन किया जाए वह यांत्रिकी के अंतर्गत आते हैं । 


० प्रकाशिकी :- भौतिक विज्ञान की वह शाखा जिसमें प्रकाश के गुण तथा व्यवहार के बारे में अध्ययन किया जाए वह प्रकाशिकी के अन्तर्गत आते है ।


          प्रकाशिकी को दो भागो में विभक्त किया गया है।


i ) तरंग प्रकाशिकी
ii ) किरण प्रकाशिकी


प्रकाशिकी के अन्तर्गत हमे प्रकाश का परावर्तन, अपवर्तन , Physics in Hindi :- दैनिक जीवन में होने वाली अनेक प्राकृतिक घटनाएँ जैसे वर्ष के मौसम , बादलों का बनना , वर्षा का होना चंद्र तथा सूर्यग्रहण आदि के व्याख्याएँ भौतिक विज्ञान के अंतर्गत आते हैं इस प्रकार विज्ञान की वह शाखा जिसमें प्रकृति द्वारा प्राकृतिक गुणों तथा व्यवहारों के बारे में अध्ययन किया जाता भौतिक विज्ञान के अंतर्गत आते हैं ।


० विधुत चुम्बकत्व :- भौतिक विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत चुंबक के गुण तथा उसके व्यवहारों के बारे में अध्ययन किया जाए वह विद्युत चुंबकत्व के अंतर्गत आते हैं |


० स्थिर वैधुतिकी :- 
भौतिक विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत स्थिर विद्युत आवेश के बारे में अध्ययन किया जाए वह स्थिर वैघुतिकी के अंतर्गत आते हैं । 


० ध्वनि भौतिकी :-
भौतिक विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत ध्वनि तरंग के गुण तथा व्यवहारों के बारे में अध्ययन किया जाए वह ध्वनी भौतिकी के अंतर्गत आते हैं।
        
 आधुनिक भौतिक  विज्ञान ( modern Physics in hindi)

.आज के युग में इसका बहुत चाल चलन है इसके अंतर्गत रिलेटिविटी और क्वांटम मेकेनिक्स का अध्ययन किया जाता है इस निम्न भागों में बांटा गया है।

आपेक्षिक भौतिकी ( Relativity ) :- भौतिक विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत प्रकाश की गति के समान गति करने वाले कणो का अध्ययन किया जाए वह आपेक्षिक भौतिकी के अंतर्गत आते हैं। 

कवांटम यांत्रिकी ( Quantum machanics ) :-भौतिक विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत कणों की द्वेत प्रकृति के बारे में अध्ययन किया जाए वह क्वांटम यांत्रिकी के अंतर्गत आते हैं।

परमाणु भौतिकी ( Atomic Physics ) :- भौतिक विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत परमाणु की बनावट, आकृति, इलेक्ट्रोनो की व्यवस्था तथा इलेक्ट्रोनो की गति का अध्ययन किया जाए वह परमाणु भौतिकी के अंतर्गत आते हैं।

जैसे :- रदरफोर्ड का मॉडल बोर का मॉडल जे जे थॉमसन का मॉडल।

नाभिकीय भौतिकी ( Nuclear physics) :- भौतिक विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत परमाणु में उपस्थित नाभिको के गुण , स्थिति, आंतरिक क्रियाओं तथा उनसे उत्पन्न ऊर्जा का अध्ययन किया जाए वह नाभिकीय भौतिकी के अंतर्गत आते है।
इसका उपयोग पावर जेनरेशन मे , न्यूक्लियर हथियार बनाने में, दवाइया बनाने में तथा एग्रीकल्चरल मे किया जाता है।
                   
                      what is Physics in hindi
                  भौतिक विज्ञान की अन्य शाखाएँ


   1. जीव भौतिक विज्ञान
   2. चिकित्सा भौतिक विज्ञान
   3. खगोलीय भौतिक विज्ञान
   4. रसायन भौतिक विज्ञान
   5. भु-भौतिक विज्ञान
   6. इलेक्ट्रॉनिक्स


Note:- भौतिक विज्ञान (what is Physics in hindi) की वह शाखा जिसके अन्तर्गत चालक , कुचालक तथा अर्द्धचालक मे प्रवाहित धारा के गुणों का अध्ययन किया जाता है। इसे हम इलेक्ट्रॉनिस कहते है।
उदाहरण :- डायोट, ट्रांजिस्टर ।

ऊर्जा संरक्षण का नियन

भौतिकी का मुख्य सिद्धांत '' ऊर्जा संरक्षण का नियम '' है । इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की उर्जा की मात्रा स्थिर होती हैं ।

समुदाय  की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं |

ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है , किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार का परिवर्तन करना संभव नहीं है सकता |

भौतिक विज्ञान की जरूरत
Requirment of what is physics in hindi

   आज के युग मे किसी भी देश विकास भौतिकी पर निर्भर होता है। 

०   विज्ञान के पिता किसे कहा जाता है ?
          न्यूटन को भौतिक विज्ञान का जनक कहा जाता है।

०    आधुनिक भौतिकी के पिता किसे कहा जाता है ?
             आधुनिक भौतिकी का पिता गैलीलियो गैलीली एवं अल्बर्ट आइंस्टाइन को कहा जाता है
       
०    भौतिक विज्ञान भविष्य में टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने में मदद करता है ।

०     आज के युग भौतिक विज्ञान के सिद्धांतों के आधार पर बड़े से बड़े रॉकेट को अंतरिक्ष में भेजा जा रहा है ।


०      बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण करते समय भौतिक विज्ञान के नियमों को ध्यान में रखा जाता है । जिससे इमारत सुरक्षित रहती है ।


०    बड़े-बड़े हॉस्पिटल में मशीनों के द्वारा ऑपरेशन किया जाता है |


०     चिकित्सा के क्षेत्र में एक्स-रे , सोनोग्राफी आदि बड़ी मशीनों को भौतिक विज्ञान के    आधार पर ही बनाया जाता है ।


०   दवाइयों का निर्माण करने वाली मशीनों का निर्माण भी भौतिकी के आधार पर किया जाता आधार पर किया जाता है।


०    रॉकेट को अंतरिक्ष में भेजने के लिए भी भौतिक के नियम का उपयोग किया जाता है ।


०   नाभिकीय विखंडन का उपयोग करके ऊर्जा का निर्माण किया जाता है | 


०   गणित के क्षेत्र में दिए गए सिद्धांत आदि का सत्यापन अर्थात सूत्र भौतिक विज्ञान के अंतर्गत आते हैं ।


०     बरनूली प्रमेय का उपयोग वायुयान के निर्माण में क्या जाता है।


०    चलते हुए वाहनों की गति ज्ञात करने के लिए भी भौतिक विज्ञान के नियमों का उपयोग किया जाता है ।


Shere On :- 

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Sunday 6 March 2022

March 06, 2022

विज्ञान किसे कहते है ? ( What is science ) || विज्ञान की परिभाषा क्या है ? ( What is science in hindi ) || विज्ञान क्या है ? ( What is Science )

विज्ञान क्या है ? ( What is Sciene ? )

   


विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन , अध्ययन और प्रयोग से मिलती है जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धांतों को जानने के लिए किए जाते हैं | विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिए भी करते हैं जो तथ्य , सिद्धांत और तरीकों के प्रयोगों और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है |

साइंस ( Science) यूनानी शब्द 'सियो ' ( Scio) से बना है, जिसका अर्थ है- जानना। विज्ञान का शाब्दिक अर्थ होता है - वि +ज्ञान अर्थात् विशिष्ट ज्ञान |

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि प्रकृति के क्रमबद्ध एवं सुव्यवस्थित ज्ञान को विज्ञान कहते हैं | ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के ज्ञान - भंडार के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है | या प्रकृति में उपस्थित वस्तुओं के क्रमबद्ध अध्ययन से ज्ञान प्राप्त करने को है विज्ञान कहते हैं | या किसी भी वस्तु के बारे में विस्तृत ज्ञान को ही विज्ञान कहते है । 

विज्ञान की कई शाखाएँ होती है -

जैसे :- भौतिक विज्ञान , रसायन विज्ञान , जीव विज्ञान

भौतिक विज्ञान( Physics) :-  विज्ञान की वह शाखा जिसमें पदार्थ के भौतिक गुणों का अध्ययन किया जाता है तथा प्रकृति में उपस्थित विभिन्न प्रकार की ऊजाओ का अध्ययन सुव्यवस्थित रूप से किया जाता है | 

              


भौतिक विज्ञान विभिन्न विषयो पर कार्य करता है। जैसे प्रकाश , यान्त्रिकी , उष्मा , ध्वनि, बिजली , चुम्बकत्व आदि। इन सभी विषयो पर भौतिक विज्ञान में विस्तार से अध्ययन किया जाता है और इनके गुणो के आधार पर हमारी दैनिक जीवन में इनको कैसे लाकर जीवन को अधिक सुविधाजनक बनाया जाए इसके बारे में अध्ययन किया जाता है।

 

रसायन विज्ञान (Chemistry) :- विज्ञान की वह शाखा जिसमे पदार्थ के संघटन , गुणधर्म और अन्योन्य क्रियाओ का अध्ययन किया जाता है।

         

        इसमें उन कणो , आयन , अणु , परमाणु आदि का अध्ययन किया जाता है जिसमे कोई पदार्थ या यौगिक बना होता है, तथा उन पदार्थो के क्या-क्या गुण है, उनकी अगर किसी अन्य पदार्थ से क्रिया करवाई जाती है तो परिणाम मे कया पदार्थ बनेगा और इसके गुण क्या क्या होगे इसका अध्ययन हम रसायन विज्ञान के अंतर्गत है।

जीव विज्ञान (Biology) :- विज्ञान की वह शाखा जिसमें जीवो के बारे मे अध्ययन किया जाता ह उसे जीव विज्ञान कहा जाता है।

        

      इसमें सजीवो के शरीर की बनावट कार्य प्रणाली प्रत्येक अंग की जानकारी तथा कार्य इत्यादि का कार्य इस जीव विज्ञान शाखा में किया जाता है।

जीव विज्ञान के दो शाखाएँ हैं ।

i) जन्तु विज्ञान ( Zoology) :-  जंतुविज्ञान जीव विज्ञान की ऐसी शाखा जिसमें जीवो के बारे में अध्ययन किया जाता बल्कि यूँ कहें की इसमें सिर्फ जीवो का ही नहीं बल्कि उनके वर्गीकरण , उनके जीवन का इतिहास , उसकी शारीरिक बनावट , उनका खानपान और उनके विकास के बारे में जानकारी इकट्ठा की जाती है।


ii) वनस्पति विज्ञान
( Botany) :-
 वनस्पति विज्ञान जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पेड़ पौधे के बारे में अध्ययन किया जाता है जिसमें पौधों के जीवन इसके द्वारा उत्पन्न होने वाली ऑक्सीजन उनके जीवन चक्र और पर्यावरण पर होने वाले उनके प्रभाव के बारे में अध्ययन करते हैं ।


                 जब आप 'विज्ञान ' शब्द सुनते हैं तो सबसे पहले आपके दिमाग में आने वाला सबसे पहले दृश्य होते हैं कुछ महान वैज्ञानिकों के नाम जैसे अल्बर्ट आइंस्टाइन , निकोला टेस्ला या विज्ञान के द्वारा निजात किए गए विभिन्न प्रकार के उपकरण जैसे सूक्ष्मदर्शी , तापमापी या फिर विज्ञान की कुछ अद्भुत शाखाएं जैसे अंतरिक्ष से संबंधित विज्ञान की शाखा , तारे , सूर्य , पृथ्वी आदि लेकिन विज्ञान केवल किसी एक विशेष ब्रांच या उपकरण का नाम नहीं है बल्कि विज्ञान बहुत ही अधिक विकसित है जिसे केवल किसी भाषा या किसी शब्द से नहीं बताया जा सकता है ।लेकिन हम विज्ञान उस ज्ञान को कह सकते हैं जो हमने लगातार मेहनत और प्रयोगो आदि के द्वारा अर्जित किया है और साथ ही विज्ञान में वह प्रक्रिया भी शामिल है जिसके द्वारा हम लगातार नया ज्ञान या खोज प्राप्त करने के प्रयास कर रहे जिसमें विभिन्न प्रकार के प्रयोग ,नियम और सिद्धांत शामिल किये जाते हैं।

विज्ञान को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है -

1 . प्राकृतिक विज्ञान :- जिसमे जीवन या जीवो आदि के बारे में अध्ययन किया जाता है तथा भौतिक पदार्थों का भी अध्ययन किया जाता है जैसे किसी पदार्थ का अध्ययन आदि को सम्मिलित रूप से प्राकृतिक विज्ञान कहा जाता है।

2. समाजिक विज्ञान :- जब लोगों और उनके समाज के बारे में विस्तार से अध्ययन किया जाता तो इस तरह के विज्ञान को सामाजिक विज्ञान कहते है ।

3. समान्य विज्ञान :- इसमें तार्किकता और गणित के समान समस्याओं को हल करने का अध्ययन किया जाता तो इसे सामान्य विज्ञान कहा जाता है ।

4. व्यावहारिक विज्ञान :- अब तक के वैज्ञानिको द्वारा अर्जित ज्ञान का प्रयोग करते हुए नए-नए साधनों ,मशीनों आदि का निर्माण करना इसे ही व्यवहारिक विज्ञान कहा जाता है।

Friday 4 March 2022

March 04, 2022

विधुत द्विध्रुव क्या है, Electric dipole in hindi, वैधुत द्विध्रुव किसे कहते है , द्विध्रुव आधुर्ण क्या है , dipole moment in hindi, मात्रक, आधुर्ण विमा

                   वैधुत द्विध्रुव  (electric dipole.)
 समान परिमाण की विपरीत आवेश अल्पतम ( न्यूनतम ) दूरी पर स्थित हो तो इस निकाय को विद्युत द्विध्रुव कहा जाता है |

माना कि दो आवेश है जिनका परिणाम q है, तथा दोनों आवेश विपरीत प्रकृति के है, अर्थात एक -q और दूसरा आवेश +q है तथा इसकी दूरी 2a पर रखा गया है जो चित्र में विधुत द्विध्रुव का निर्माण किया गया है|


अध्रुवी अणु :- जब किसी अणु मे समान रूप में धन तथा ऋण आवेश हो तो ऐसे अणु का प्रभावी कैन्द्र एक ही होता है, तो ऐसे अणु पर मान उदासीन होता है वह आवेश अध्रुवी अणु कहते है, 

ध्रुव अणु : - जब किसी अणु पर धन तथा ऋण आवेश हो तो ऐसे अणु का प्रभावी कैन्द्र भिन्न या अलग होते है ऐसे अणु को ध्रुवी अणु कहते है

उदाहरण :- ध्रुवी अणु ( polar molecules ) जैसे  HCl होते हैं लेकिन H+ और cl - अध्रुवी अणु है, क्योकि इसमें एक धन अणु है तथा एक ऋण अणु अविश है तो ऐसे आवेश का प्रभावी कैन्द्र एक ही होता है।

            वैधुत द्विध्रुव आधुर्ण ( dipole moment )
विद्युत द्विध्रुव के किसी एक आवेश तथा दोनों आवेश के बीच की दूरी के गुणनफल को विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण कहा जाता है|
इसे प्रायः P से प्रदर्शित किया जाता है।

यदि आवेशो के परिमाण -q तथा +q हो तथा उनके बीच की दूरी 2a हो तो विधुत द्विध्रुव का आधुर्ण
                         P = q×2a 
विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण सदिश राशि है जिसकी दिशा प्राय: ऋणात्मक आवेश धनात्मक आवेश की और होती है ,द्विध्रुव आवेश को आपस में मिलाने वाली रेखा को द्विध्रुव अक्ष कहते हैं। इसका प्रभावी केंद्र P है|


द्विध्रुव आघूर्ण की इकाई
द्विध्रुव आध्रुर्ण= आवेश x लम्बाई 
= द्विध्रुव आघूर्ण= कुलाम× मीटर


जहाॅं:-
            आवेश की इकाई =कूलॉम ( c )
             लम्बाई की इकाई मीटर ( m )


द्विध्रुव आधुर्ण की विमा 
द्विध्रुव आध्रुर्ण= आवेश x लम्बाई 
=द्विध्रुव आधुर्ण ( P ) = ATL / ATI
                    या
द्विधुव्र आध्रुर्ण ( P ) =M0 L1 T1A1 होता है

जहाॅं:-
         आवेश की विमा = AT / AI
          लम्बाई की विमा = L
 

नोट :- रसायन विज्ञान में द्विध्रुव आघूर्ण की दिशा धनावेश से ऋण आवेश की ओर मानी जाती है।
विद्युत द्विध्रुव का C.G.S मात्रक “डिबाइ” होता है।
दो समान एवं 10-10 फ्रेंकलिन आवेश वाले बिंदु आवेश एक दुसरे से 1Å दूरी पर रखे हो तो ऐसे निकाय के द्विध्रुव आघूर्ण को डिबाई कहते है।
1 डिबाई (D) = 10-10 x 10-8 = 10-18 Fr x cm
1D = 10-18 x C/3×109 x 10-2m = 3.3 x 10-30 c x m

S.I. मात्रक = कुलाम x मीटर = C x m
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March 04, 2022

परावैधुतांक (Dielectric constant), आपेक्षिक विघुतशीलता (Relative premittivity ) ,विशिष्ट परावैधुतता

परावैधुतांक (Dielectric constant) :-

परावैघुतांक का नियम कूलॉम साहब ने दिया था।

किसी माध्यम (पदार्थ) की विधुतशीलता तथा निर्वात या हवा मे विद्युतशीलता के अनुपात की परावैधुतांक या आपेक्षिक विधुतशीलता कहते हैं।
  इसे प्राय: εr या k से प्रदर्शित की जाती है 


जहाँ हम :- 
 ε {एप्साइलोन}
ε₀ (एप्साइलोन नॉट)
εr  ( एप्साइलोन r ) 

εr (आपेक्षिक परावैद्युतांक) एक विमाहीन राशि है अर्थात इसकी कोई विमा नहीं है।

कुछ माध्यम व उनके आपेक्षिक विद्युत शीलता के मान दिए गए है।



जहाँ k : - (नियतांक या स्थिरांक है)

k का मान = 1/4πε= 9 x  109 न्यूटन.मीटर2/कूलाम2

ε0 का मान = 8.85 x 10-12  कूलाम2/न्यूटन.मीटर2

ε का विमीय सूत्र = M-1L-3T4A2 है।

Xyz
     


Thursday 10 June 2021

June 10, 2021

क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय ठोस की परिभाषा क्या है | (crystalline and non crystalline solids) क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय ठोस में अंतर क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय ठोस की परिभाषा क्या है | (crystalline and Amerphous solids) क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय ठोस में अंतर

क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय ठोस से पहले हम ठोस पदार्थ क्या होता है जानेगे।
ठोस ( solid) : -
ठोस अवस्था पदार्थ की वह अवस्था है जिसके घटक कण ( अणु परमाणु, तथा आयन ) होते हैं, इसके मध्य एक प्रबल (strong ) आकर्षण बल कार्य करता है, तथा इनका आकार तथा आयतन निश्चित होता है, इसमें उपस्थित कण बहुत नजदीक होते है।



ठोस की विशेषताएँ ( charateristic of solid) : -
i) ठोस में आकार एवं आयतन निश्चित होता है।
ii) ठोस के कणों के मध्य की दूरी बहुत कम होती है अर्थात इनमें कण (परमाणु , अणु या आयन) बहुत पास पास स्थित होते है।
iii) ठोस में अन्तराण्विक प्रबल (strong) / शक्तिश।ली होता है। iv) ठोस कठोर तथा असंपीड्य होता है। 
V) ठोस का द्रवणांक / द्रव्यमान तीक्षण ( sharp) होता है| 

ठोसो का वर्गीकरण / प्रकार
ठोसों का वर्गीकरण दो प्रकार का होता है।

i) क्रिस्टलीय ठोस ( crystaline solid)

ii) अक्रिस्टलीय ठोस ( Amerphous solid )

किस्टलीय ठोस तथा अक्रिस्टलीय ठोस से पहले हम क्रिस्टल क्या होता है जानेगें।
क्रिस्टल ( crystal ) :- क्रिस्टल एक ऐसा ठोस पदार्थ है जो कण(अणु परमाणु व आयन ) से निर्मित हो, पुनरावर्ती क्रम में सजा हो तथा जिसका ज्यामिति रूप क्रिस्टल कहा जाता है।

i) क्रिस्टलीय ठोस :- क्रिस्टलीय ठोस वे ठोस है जिसमें अवयवी कण निश्चित क्रम मे व्यवस्थित होते हैं, तथा जिसकी एक निश्चित ज्यामिति होती है, तथा इसका ग्लनांक एवं क्वथनांक निश्चित होता है।

उदाहरण :- NaCl , KCl , Fe , Au , Cu आदि

क्रिस्टलीय ठोसो का गुण :-
i) क्रिस्टलीय ठोस में अव्ययी कण व्यवस्थित होते हैं।
ii) क्रिस्टलीय ठोस मे निश्चित ज्यामिति होती है।
iii) क्रिस्टलीय ठोस का ग्लनांक एवं क्वथनांक निश्चित होता है।
iv) क्रिस्टलीय ठोस विषम दैषिक होता है।
V) क्रिस्टलीय ठोस शीतलन वक्र असंतत होता है।
Vi ) क्रिस्टलीय ठोस को वास्तविक ठोस कहा जाता है | 

ii) अक्रिस्टलीय ठोस :- अक्रिस्टलीय ठोस वे ठोस है जिसमें अवयवी कण अनिश्चित क्रम मे व्यवस्थित होते हैं, तथा जिसकी एक अनिश्चित ज्यामिति होती है, तथा इसका ग्लनांक एवं क्वथनांक अनिश्चित होता है।

उदाहरण :- रबर , कांच और प्लास्टिक आदि अक्रिस्टलीय ठोस के उदाहरण है।

अक्रिस्टलीय ठोसो का गुण :-
i) अक्रिस्टलीय ठोस में अव्ययी कण व्यवस्थित नहीं होते हैं।
ii) अक्रिस्टलीय ठोस मे अनिश्चित ज्यामिति होती है।
iii) अक्रिस्टलीय ठोस का ग्लनांक एवं क्वथनांक 

क्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय ठोस के बीच मध्य अंतर निश्चित नही होता है।
iv) अक्रिस्टलीय ठोस समदैषिक होता है।
V) अक्रिस्टलीय ठोस शीतलन वक्र संतत होता है।
Vi ) अक्रिस्टलीय ठोस को अतिषीतित द्रव कहा जाता है ।

क्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय ठोस के बीच मध्य अंतर






Tuesday 8 June 2021

June 08, 2021

क्रिस्टलीय ठोसों का वर्गीकरण (classification of crystalline ) , क्रिस्टलीय ठोस के प्रकार

क्रिस्टलीय ठोस ( Crystalline solid ) :-क्रिस्टलीय ठोस वे ठोस है जिसमें अवयवी कण निश्चित क्रम मे व्यवस्थित होते हैं, तथा जिसकी एक निश्चित ज्यामिति होती है, तथा इसका ग्लनांक एवं क्वथनांक निश्चित होता है।

उदाहरण :- NaCl , KCl , Fe , Au , Cu आदि

क्रिस्टलीय ठोसो का वर्गीकरण / प्रकार ( classification of Crystalline Solid) :-

क्रिस्टलीय ठोस प्रायः चार प्रकार के होते हैं।

i ) आण्विक ठोस ( molecular crystal )
ii ) धात्विक ठोस ( metallic crystal)
iii ) सह-संयोजक ठोस (  crystal )
iv) आयनिक ठोस ( Ionic crystal)

i) आयनिक ठोस ( Ionic crystal)
आयनिक ठोस के अवयवी कण आयन होते हैं । ऐसे ठोसो का निर्माण धनायनो और ऋणायनो के त्रिविमिय विन्यासो में प्रबल कुलामी (स्थिर विधुत) बलो से बधने पर होता है। यह कठोर और भंगुर प्रकृति के होते है। इनका ग्लनांक और क्वथनांक उच्च होते हैं। चूँकि इसमें आयन गमन के लिए स्वतंत्र नहीं होते है , अत: ये ठोस अवस्था में विधुतरोधी होते हैं। तथापि गलित अवस्था में अथवा जल में घोलने पर, आयन गमन के लिए मुक्त हो जाते है और वे विद्यूत का संचालन करते हैं।

उदाहरण :- Nacl , kcl आदि।

Nacl का ग्लनांक = 801°c

ii ) धात्विक क्रिस्टल ( metallic crystal) :

धात्विक ठोस वे है , जिनमे उपस्थित धन आवेशित मेटल आयन एक दूसरे से धात्विक आबंध द्वारा जुड़े रहते हैं। इनके अवयवी कण परमाणु परमाणु होते है, इसके बीच धनायन तथा इलेक्ट्रॉन के बीच आक्रर्षण बल कार्य करता है, इसका ग्लनांक ~800-1000k तक होते है इसमें विधुत के चालक ठोस अवस्था एवं गलित अवस्था में होते है। 

उदहरण: Na , fe आदि।


iii ) सह-संयोजक क्रिस्टल ( covalent crystal ) :

सह- संयोजक क्रिस्टल वे है जिनमें परमाणु एक दूसरे से सह संयोजक बंधन के नेटवर्क द्वारा जुड़े रहते है और इस प्रकार यह एक जाइन्ट अणु का निर्माण करता है। यह ठोस कठोर होते है और ग्रैफाइट ही सिर्फ मुलायम प्रकृति होते है । इसमें विधुत चालकता विधुतरोधी होती है और ग्रैफाइट के लिए चालक होती है। इसका गलनांक और कवथनांक अत्यधिक उच्च होता है।
 इसका गलनांक का मान करीब ~ 4000k के परास का होता है।

iv) आण्विक क्रिस्टल (moleculars crystal ) :

आण्विक ठोस में अवयवी कण अणु होते हैं , जिनके मध्य दुर्बल वांडर वाल्स बल होता है ।

उदाहरणः ( ठोस CO२ , I२)

आण्विक ठोस प्राय: तीन प्रकार के होते हैं।

a) अध्रुवी आण्विक क्रिस्टल :

अध्रुवी ठोस के अंतर्गत वे ठोस आते हैं जिनके अवयवी कण अणु होते हैं, इसमें परिक्षेपण अथवा लंडन बल उपस्थित होता है जिनके कारण इनमें आक्रर्षण बल उत्पन्न  होता है , तथा यह ठोस मुलायम होते है एवं इसमें विधुतचालकता विधुतरोधी होती है, इसका गलनांक अत्यधिक निम्न होता है।

उदाहरण : Ar , H२ , I२ आदि।

b) ध्रुवीय आण्विक क्रिस्टल :
अध्रुवी ठोस के अंतर्गत वे ठोस आते हैं जिनके अवयवी कण अणु होते हैं, इसमें द्विध्रुव- द्विध्रुव बल उपस्थित होता है। जिनके कारण इसमें आक्रर्षण बल उत्पन्न होता है, यह ठोस मुलायम होती है। इसमें विधुतचालकता विधुतरोधी होती है , इसका गलनांक निम्न होता है।

उदाहरण: Hcl , SO२ आदि।

c)हाइड्रोजन आबंधित आण्विक क्रिस्टल :

हाइड्रोजन आबंधित ठोस के अंतर्गत वे ठोस आते हैं जिनके अवयवी कण अणु होते हैं, इसमें हाइड्रोजन आबंध बल उत्पन्न होता है, यह ठोस कठोर होती है, इसमें विधुतचालकत। विधुतरोधी होती है, इसका गलनांक निम्न होता है।

उदाहरण: H२0 बर्फ आदि |

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